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Rani Lakshmi Bai Essay, Top 5 Best Famous Lines, About Hindi & Real Images

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Rani Lakshmi Bai Essay, Top 5 Best Famous Lines, About Hindi & Real Images

Rani Lakshmibai was brought into the world on 19 November 1828 in Kashi. Her dad’s name was Moropant Tambe. Lakshmibai’s young life name was ‘Manikarnika’. She was tenderly tended to as ‘Manu’. Manu’s mom passed on in their youth.

Manu’s dad used to work with Peshwa Saheb of Bithur. The Peshwa saheb raised Manu like his own little girl. He named Manu ‘Chhabili’. She became capable of horse riding and fencing under the direction of Nana Saheb and Tatya Tope. Rani Lakshmi Bai Essay

In the year 1842, Manu got hitched to the Lord of Jhansi, Gangadhar Rao. She was 12 years of age then, at that point. After marriage, she got the name ‘Lakshmibai’. she brought forth a child. Her child lived for a couple of months and afterwards died. After this episode, the ruler took on his nephew and named him Damodar Rao. Rani Lakshmi Bai Essay

About Rani Lakshmi Bai in Hindi

जन्म: 19 नवम्बर 1828, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

मृत्यु: 18 जून 1858, कोटा की सराय, ग्वालियर मे

कार्यक्षेत्र: झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई, 1857 की प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना

रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी थीं और 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजी हुकुमत के विरुद्ध बिगुल बजाने वाले वीरों में से एक थीं। वह एक ऐसी वीरांगना थीं जिन्होंने मात्र 23 वर्ष के ही आयु में ही ब्रिटिश साम्राज्य की सेना से मोर्चा लिया तथा रणक्षेत्र में वीरगति को प्राप्त हो गयीं परन्तु जीते जी उन्होने अंग्रेजों को राज्य झाँसी पर कब्जा बिल्कुल नहीं करने दिया। Rani Lakshmi Bai Essay

प्रारंभिक जीवन :-

लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी जिले में 19 नवम्बर 1828 को एक मराठी ब्राह्मण के परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन परिवारवाले उन्हें प्यार से मनु पुकारते थे। उनके पिता जी का नाम मोरोपंत ताम्बे था और माता का नाम भागीरथी सप्रे। Rani Lakshmi Bai Essay

उनके माता-पिता महाराष्ट्र से सम्बन्ध रखते थे। जब लक्ष्मीबाई मात्र चार साल की थीं तब ही उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। उनके पिता मराठा बाजीराव जी की सेवा में थे। माँ के निधन के बाद घर में मनु की देखभाल करने के लिये कोई नहीं था इसलिए पिता ने मनु को अपने साथ बाजीराव जी के दरबार में ले गये। वहां मनु के स्वभाव ने सभी लोगो का मन मोह लिया। Rani Lakshmi Bai Essay

सन 1842 में ही मनु का विवाह झाँसी के राजा श्री गंगाधर राव निम्बालकर जी के साथ हो गया और इस प्रकार वह झाँसी की रानी बन गयीं तथा उनका नाम मनु से बदलकर लक्ष्मीबाई कर दिया गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई तथा गंगाधर राव को पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन चार महीने की ही आयु में उसकी मृत्यु हो गयी। Rani Lakshmi Bai Essay

उधर गंगाधर राव का स्वास्थ्य बिगड़ता ही जा रहा था। स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उनको दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। उन्होंने वैसा ही किया और पुत्र गोद लेने के बाद 21 नवम्बर 1853 को ही गंगाधर राव परलोक सिधार गए। उनके दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव ही रखा गया। Rani Lakshmi Bai Essay

अंग्रजों का राज्य हड़प नीति (डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स) तथा झाँसी

ब्रिटिश इंडिया के गवर्नर जनरल डलहौजी का राज्य हड़प नीति के अन्तर्गत अंग्रेजों ने बालक दामोदर राव को झाँसी के राज्य का उत्तराधिकारी मानने से साफ इनकार कर दिया तथा ‘डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स’ नीति के तहत ही झाँसी राज्य का विलय अंग्रेजी साम्राज्य में करने का फैसला कर लिया। Rani Lakshmi Bai Essay

हालाँकि रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ वकील जान लैंग की सलाह ली तथा लंदन की अदालत में मुकदमा दायर करवा दिया पर अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध कोई भी फैसला हो ही नहीं सकता था इसलिए बहुत बहस होने के बाद इसे खारिज कर दिया गया। अंग्रेजों ने झाँसी राज्य का पूरा खजाना ज़ब्त कर लिया रानी लक्ष्मीबाई ने बिल्कुल हिम्मत नहीं हारी और हर हाल में झाँसी की रक्षा करने का पूरा निश्चय किया। Rani Lakshmi Bai Essay

अंग्रेजी हुकुमत से संघर्ष –

अंग्रेजी हुकुमत से संघर्ष के लिए ही रानी लक्ष्मीबाई ने एक स्वयंसेवक सेना का गठन प्रारम्भ किया। इस सेना में महिलाओं की भी भर्ती की गयी तथा उन्हें युद्ध का पूरा प्रशिक्षण दिया गया। झाँसी की आम जनता ने इस संग्राम में रानी का पूरा साथ दिया। लक्ष्मीबाई की हमशक्ल झलकारी बाई को सेना मे प्रमुख स्थान दिया गया। Rani Lakshmi Bai Essay

अंग्रेजों के खिलाफ रानी लक्ष्मीबाई की जंग में कई अपदस्त और अंग्रेजी हड़प नीति के शिकार राजाओं को जैसे बेगम हजरत महल, अंतिम मुगल सम्राट की बेगम जीनत महल, स्वयं मुगल सम्राट बहादुर शाह, नाना साहब जी के वकील अजीमुल्ला शाहगढ़ के राजा, वानपुर के राजा मर्दनसिंह तथा तात्या टोपे आदि सभी महारानी के इस कार्य में पूरा सहयोग देने का प्रयत्न करने लगे। Rani Lakshmi Bai Essay

रानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु

सन 1858 के जनवरी महीने में ही अंग्रेजी सेना ने झाँसी की ओर बढ़ना चालू कर दिया और मार्च में ही शहर को घेर लिया। लगभग दो हफ़्तों के संघर्ष के बाद ही अंग्रेजों ने शहर पर पूरा कब्जा कर लिया पर रानी लक्ष्मीबाई अपने पुत्र दामोदर राव के साथ अंग्रेजी सेनाओ से बच कर भाग निकली। झाँसी से भागकर रानी लक्ष्मीबाई कालपी पहुँची तथा तात्या टोपे से मिलीं। Rani Lakshmi Bai Essay

तात्या टोपे और लक्ष्मीबाई जी की संयुक्त सेना ने ग्वालियर के विद्रोही सैनिकों की मदद से ग्वालियर के एक किले पर पूरा कब्जा कर लिया। रानी लक्ष्मीबाई ने जी-जान से अंग्रेजी सेना का मुकाबला किया परंतु 17 जून 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में ब्रिटिश सेना से लड़ते-लड़ते वह वीरगति को प्राप्त हो गयीं। Rani Lakshmi Bai Essay

Rani Lakshmi Bai Real Photo

हम आपको रानी लक्ष्मी बाई जी की जीवन की कुछ सच्ची तस्वीरे दिखाएंगे, जिन्हे आप बिल्कुल फ्री मे download कर सकते हैं। Rani Lakshmi Bai Essay

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Famous Lines Rani Lakshmi Bai

हम आपको रानी लक्ष्मी द्वारा बोली कुछ बहुत ही सुंदर तथा लोकप्रिय लाइने बताएँगे, जिन्हे आप बहुत आसनी से Download कर सकते हैं। तथा काही भी किसी प्रतियोगिता मे भाग लेकर इन लाइनों को बोल सकते है। इनपर Speech दे सकते हैं। तो आइये देखते है रानी लक्ष्मी जी की कुछ Famous लाइने। Rani Lakshmi Bai Essay

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Rani Lakshmi Bai Essay

Born: 19 November 1828, Varanasi, Uttar Pradesh

Died: 18 June 1858, at Kota ki Sarai, Gwalior

Scope: Rani Laxmi Bai of Jhansi, the heroine of the first Indian freedom struggle of 1857

Rani Lakshmibai was the queen of the Maratha-ruled Jhansi state and was the first Indian freedom struggle of 1857 against British rule. She was such a heroine who, at the age of 23, took the front from the army of the British Empire and attained martyrdom on the battlefield, but she did not allow the British to capture the state of Jhansi at all. Rani Lakshmi Bai Essay

Early life:-

Lakshmibai was born in the Varanasi district on 19 November 1828 in the family of a Marathi Brahmin. His childhood name was Manikarnika but the family used to affectionately call him Manu. His father’s name was Moropant Tambe and his mother’s name was Bhagirathi Sapre. Rani Lakshmi Bai Essay

Father was in the service of Maratha Bajirao Ji. After the death of the mother, there was no one in the house to take care of Manu, so the father took Manu with him to the court of Bajirao Ji. Rani Lakshmi Bai Essay

There Manu’s nature captivated all the people. In the year 1842, Manu was married to the Raja of Jhansi, Shri Gangadhar Rao Nimbalkar Ji and thus she became the queen of Jhansi and her name was changed from Manu to Lakshmibai. Rani Lakshmi Bai Essay

In 1851, Rani Lakshmibai and Gangadhar Rao were blessed with a son, He did the same and after adopting a son, Gangadhar Rao went to the next world on November 21, 1853. Gangadhar Rao adopted son was named Damodar Rao. Rani Lakshmi Bai Essay

The British state annexation policy (Doctrine of Lapse) and Jhansi

Under the state usurp policy of the Governor General of British India, Dalhousie, the British refused to accept the child Damodar Rao as the heir to the state of Jhansi and decided to merge the state of Jhansi with the British Empire only under the ‘Doctrine of Lapse’ policy. took. The British confiscated the entire treasury of the state of Jhansi, Rani Laxmibai did not lose courage at all and made the full determination to protect Jhansi at any cost. Rani Lakshmi Bai Essay

Conflict with the British rule –

Rani Laxmibai started the formation of a volunteer army for the struggle against British rule. basically, Women were also recruited into this army and they were given full combat training. The general public of Jhansi supported the queen in this struggle. Rani Lakshmi Bai Essay

Death of Rani Laxmi Bai

In the month of January 1858, the English army started moving towards Jhansi and besieged the city in March. After almost two weeks of struggle, the British took full control of the city, but Rani Laxmibai with her son Damodar Rao escaped from the British forces. Rani Lakshmi Bai Essay

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Frequently Asked Questions

1. What is Rani Laxmi Bai famous for?
In 1858, Lakshmibai, also known as the Rani of Jhansi, died fighting British colonial rulers near Gwalior in a region known as Kotah-ki-Serai. She was one of the 1st women freedom fighters in India who revolted against the British in 1857.

2. Did Rani Laxmibai speak English?
Yes, Lakshmibai did speak English but not well. This surprised many because rani Lakshmi bai came from Maharashtra, where people spoke good English without any issues. Rani Lakshmi Bai Essay

3. Why did the British attack Jhansi?
The uprising layout from town to town, reach Jhansi in June 1857. Dozens of British were murdered in the ensuing massacre by the rebels. The British go around on Laxmibai, accusing her of plotting with the rebels to seek revenge for their refusal to accept her heir. Rani Lakshmi Bai Essay

4. When was Rani Lakshmi Bai Born?

19 November 1828.

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