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About Sarojini Naidu’s biography, Image, quotes, Books, Pomes

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About Sarojini Naidu’s biography in Hindi

Sarojini Naidu’s biography in Hindi

3 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। महिला सशक्तिकरण आधुनिक युग की देन नहीं है, बल्कि यह कई दशक पहले से ही भारतीय समाज का हिस्सा रहा है। आजादी की लड़ाई में अहम भागीदारी निभाने वाली कुछ महिलाओं में से एक खास महिला भारत कोकिला सरोजिनी नायडू भी थीं। About Sarojini Naidu’s biography

सरोजिनी नायडू हमेशा महिला अधिकारों के लिए संघर्षरत रहीं थीं। इसलिए उनका जन्म दिवस महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरोजिनी नायडू की 135वीं जयंती से यानी 13 फरवरी 2014 को भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी।

Sarojini Naidu’s biography

समाज में धर्म प्रचारकों की बढ़ती कट्टरता के साथ ही बढ़ रही है नास्तिकों की राजनीतिक सक्रियता सरोजिनी नायडू का जीवन सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को भारत के हैदराबाद शहर में हुआ था। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय निजाम कॉलेज के संस्थापक और रसायन शास्त्र के वैज्ञानिक थे। और मां वर्धा सुंदरी कवियत्री थी। वह बांग्ला में लिखती थीं। उनके पिता उन्हें अपनी तरह की वैज्ञानिक या गणितज्ञ बनाना चाहते थे।

लेकिन सरोजिनी नायडू को कविताओं से प्रेम था और वह इसे त्याग नहीं सकीं। सरोजिनी नायडू की शिक्षा सरोजिनी नायडू बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि की छात्रा थी। उन्होंने 12 वर्ष की छोटी सी उम्र में 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण कर ली थी। हैदराबाद के निजाम द्वारा प्रदान की गई छात्रवृत्ति से सरोजिनी को आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेजा गया था। सरोजिनी ने पहले लंदन के किंग्स कॉलेज और बाद में कैंब्रिज के गिरटन कॉलेज में अध्ययन किया। 1895 में वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चली गई। About Sarojini Naidu’s biography

Sarojini Naidu’s Biography in Hindi

सरोजिनी नायडू ( Sarojini Naidu; जन्म: 13 फरवरी 1879; मृत्यु: 2 मार्च 1949) एक कवयित्री व राजनीतिक कार्यकर्त्ता थी। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की दूसरी महिला प्रेसिडेंट थी। इसके अलावा, वह भारत की प्रथम महिला राज्यपाल (उत्तर प्रदेश) भी थी।

उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभाते हुए महत्वपूर्ण योगदान दिया। महात्मा गांधी के साथ मिलकर के उन्होंने स्वतंत्रता अभियानों में हिस्सा लिया और राष्ट्र को ब्रिटिश सरकार से मुक्त कराने के लिए अनेकों प्रयत्न किये। उनका व्यक्तित्व गौरवशाली रहा है। About Sarojini Naidu’s biography

About Sarojini Naidu pomes in hindi

Sarojini Naidu pomes in hindi

मात्र 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने ‘लेडी ऑफ द लेक’ या झील की रानी नामक कविता और 2000 पंक्तियों का विस्तृत नाटक अंग्रेजी में लिखा। इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान भी उनका कविता प्रेम यथावत बना रहा। वे कविताएं लिखती रहीं। पहला कविता संग्रह सरोजिनी का पहला कविता संग्रह ‘गोल्डन थ्रेसोल्ड'( 1905) नाम से प्रकाशित हुआ। About Sarojini Naidu’s biography

यह पाठकों के बीच आज भी लोकप्रिय है। उनके दूसरे और तीसरे कविता संग्रह ‘बर्ड ऑफ टाइम’ और ‘ब्रोकन विंग्स’ ने उन्हें सुप्रसिद्ध कवि बना दिया। सरोजिनी नायडू को शब्दों की जादूगरनी भी कहा जाता था। उनकी हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला गुजराती, फारसी, और तेलगू भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी। क्षेत्र के अनुसार वे अपना भाषण उसी क्षेत्र की भाषा में देती थीं। वह बहुभाषाविद थीं

About Sarojini Naidu Image & Photo

Sarojini Naidu Image & Photo

1914 में सरोजिनी इंग्लैंड ने गांधीजी से मिलीं। वे गांधीजी के विचारों से प्रभावित होकर देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित हो गईं। इस दौरान वे जेल भी गईं और उन्होंने कई राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व भी किया। उन्होंने गांव-गांव घूमकर स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाया।

लोगों में देश प्रेम की भावना को प्रबल किया। उनके भाषण जनता में नया उत्साह भर देते थे,और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरणा देते थे ।1925 में वे कानपुर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षा बनीं थीं। About Sarojini Naidu’s biography

Sarojini Naidu quotes

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1928 में उन्हें’ केसर-ए – हिंद’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें भारत में प्लेग की महामारी के दौरान किए गए सेवा कार्यो के लिए दिया गया था। 1932 में वे भारत की प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका गईं। उन्होंने महिला सशक्तिकरण, जातिवाद और लिंग भेद मिटाने के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए। About Sarojini Naidu’s biography

पहली महिला राज्यपाल स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के स्वतंत्रता सेनानियों के सामने राष्ट्र निर्माण का लक्ष्य था। सरोजिनी नायडू को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उत्तर प्रदेश क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा प्रांत था। वे भारत की पहली महिला राज्यपाल बनीं। इस पद को स्वीकारते हुए उन्होंने कहा कि ‘मैं अपने को कैद कर दिए गए जंगल के पक्षी की तरह अनुभव कर रही हूं’। कार्यभार निर्वहन के लिए वे लखनऊ में बस गई।

About Sarojini Naidu Books

द गोल्डन थ्रेसहोल्ड (1905), समय की चिड़िया (1912), मुहम्मद जिन्ना: एकता के राजदूत (1916), द ब्रोकन विंग (1917), द सेप्ट्रेड फ्लूट (1928), द फेदर ऑफ द डॉन (1961),पद्मजा नायडू द्वारा संपादित,

सरोजिनी नायडू के बारे में किताबें, हसी बनर्जी। सरोजिनी नायडू द ट्रेडिशनल फेमिनिस्ट । 1998, ईएस रेड्डी गांधी और मृणालिनी साराभाई। महात्मा और कवयित्री 1998 केआर रामचंद्रन नायर। तीन न इंडो-एंग्लियन कवि: हेनरी डेरोजियो, तोरू दत्त और सरोजिनी नायडू। 1987.

Frequently Asked Questions

1.सरोजिनी नायडू का सरोजिनी नायडू ने भारत के लिए क्या किया?

1925 में, नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थीं । 1927 में, नायडू अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की संस्थापक सदस्य थीं। 1928 में, उन्होंने अहिंसक प्रतिरोध को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा की। नायडू ने दक्षिण अफ्रीका में पूर्वी अफ्रीकी और भारतीय कांग्रेस के 1929 के सत्र की भी अध्यक्षता की।क्या कोई उपनाम भी था ?

2.सरोजिनी नायडू की क्या भूमिका है?
सरोजिनी नायडू ने गांधीजी के अनेक सत्याग्रहों में भाग लिया और ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में वे जेल भी गईं। 1925 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर अधिवेशन की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष बनीं। वे उत्तरप्रदेश की गवर्नर बनने वाली पहली महिला थीं। वे ‘भारत कोकिला’ के नाम से जानी गईं

3.सरोजिनी नायडू ने किस स्टीरियोटाइप को तोड़ा?
व्याख्या: 1931 में उन्होंने महात्मा गांधी और मदन मोहन मालवीय के साथ गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया. उन्होंने अंतर्जातीय विवाह का समर्थन किया, और महिला सशक्तिकरण और बच्चों से संबंधित कई मुद्दों को हल किया।

4.सरोजिनी नायडू संविधान सभा की सदस्य थीं?
सरोजिनी नायडू:- सरोजिनी नायडू संविधान सभा की सदस्य थीं । नौ महिला सदस्यों में वह एक थीं

5.स्वतंत्रता आंदोलन में शिक्षा का क्या योगदान रहा?
छात्रों ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमारे शिक्षकों की अहम भूमिका रही है। उनके बताए गए अहिंसा, नैतिकता, सत्य निष्ठा के मार्ग पर चलकर बहुत से छात्र स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए, जिसका नतीजा हुआ कि हमारा देश आजाद हुआ।

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